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जैसे ही बीजेपी ने 62 विधानसभा क्षेत्रों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित किये, प्रदेश भर में मानो जैसे की पार्टी नेतृत्व में भूचाल सा आ गया!
- चंबा सीट से पवन नैयर ने टिकट कटते ही इंदिरा कपूर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, ठीक उसी प्रकार भरमौर से जिया लाल ने डॉ जनक के विरूद्ध मोर्चेबंदी शुरू कर दी!
- यही हाल कांगड़ा की जवाली सीट पर देखने को मिला, जहाँ मौजूदा विधायक अर्जुन सिंह ने टिकट कटते ही निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। खबरों की माने तो 5 बार के विधायक रविंदर रवि इस वक्त दिल्ली में कांग्रेस से टिकट लेकर सुलह से मैदान में उतरने को लगभग तैयार बैठे हैं! दूसरी और रमेश धवाला भी टिकट ना मिलने की स्थिति में निर्दलीय मैदान में उतरने को आतुर हैं! सबसे ज्यादा विरोध तो धर्मशाला में देखने को मिला जहाँ पूरा का पूरा मंडल राकेश चौधरी को टिकट मिलते ही इस्तीफा लेकर तैयार है! ठीक इसी प्रकार कांगड़ा सीट पर भी पार्टी कार्यकर्ता पवन काजल को टिकट देने के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद कर चुके हैं!
- मंडी की बात करें तो सरकाघाट से चन्दरमोहन निर्दलीय मैदान में उतर रहे हैं और उनकी इस मुहिम में मौजूदा विधायक कर्नल इंद्र सिंह भी उनका समर्थन कर रहें हैं!यहाँ भी दलीप ठाकुर को टिकट देने का विरोध किया जा रहा है! करसोग में तो जितने टिकट के चाहवान थे सभी एकजुट होकर दीपक कपूर को टिकट देने का विरोध दर्ज करवा चुके हैं। रही बात हमारे धर्मपुर की तो वहां बहन ही भाई के खिलाफ मुहिम शुरू कर चुकी हैं! उनके अनुसार हमेशा महिला ही परिवारवाद की बलि चढ़ती हैं!
- नालागढ़ में तो लगभग 150 भाजपा के पदाधिकारी सामूहिक इस्तीफा देकर लखविंदर राणा के विरुद्ध मैदान में उत्तर चुके हैं! यहाँ से भाजपा के पूर्व विधायक KL ठाकुर निर्दलीय मैदान में उतरने का बिगुल फूंक चुके हैं!
- यही हाल बिलासपुर, मनाली, शाहपुर में भी देखा जा रहा है, जहां कार्यकर्ता अपने को ठगा महसूस कर मैदान में निर्दलीय बाजी पलटने को तैयार हैं!
रही परिवारवाद की बात तो भोरंज,धर्मपुर, जुब्बल में बीजेपी की करनी और कथनी में अंतर साफ देखा जा सकता है! एक और तो पूरी की पूरी भाजपा कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाती है और वहीं खुद पूर्व नेताओ के बेटों को धड़ाधड़ मैदान में उतार रही है!
कहीं यह कार्यकर्ताओं की अनदेखी,नाराजगी और गुटबाज़ी भाजपा का खेला ना बिगाड़ दे, यह तो 12 नवंबर ही बताएगा!