राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान से ट्रेकिंग प्रतिस्पर्धा ‘द सिल्क रूट-द हिमालयन एक्सपीडिशन’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि ‘सिल्क रूट’ एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक व्यापारिक मार्ग था। एशियाई देशों चीन, भारत, फारस, अरब, ग्रीस और इटली से होता हुआ यह व्यापारिक मार्ग भूमध्य सागर तक फैला हुआ था। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी से 14वीं शताब्दी ईस्वी तक इस मार्ग की बहुत महत्ता थी।
राज्यपाल ने कहा कि उस अवधि के दौरान बडे़े पैमाने पर होने वाले रेशम के व्यापार के कारण इस व्यापारिक मार्ग को ‘सिल्क रूट’ का नाम दिया गया था। उन्होंने कहा कि रामपुर, नारकंडा, शिमला, कालका होते हुए दिल्ली तक यह मुख्य व्यापारिक मार्ग था। लेकिन, कालांतर में सड़कों के विकास के साथ ही यह पुराना मार्ग भुला दिया गया और यह इतिहास बन गया।
ट्रेकिंग जैसे साहसिक एवं रोमांच भरे आयोजन की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इस तरह की गतिविधियां इस पुराने भुलाए जा चुके सिल्क रूट को पुनर्जीवित करने में बहुत सहायक सिद्ध होगी। सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह आयोजन निःसंदेह काफी रोमांचक होगा।
इस अवसर पर कृषि विभाग के सचिव राकेश कंवर, नगर निगम शिमला के बैनमोर वार्ड की पार्षद डॉ. किमी सूद, सामाजिक कार्यकर्ता रोहिताश चंद्र, ट्रेकिंग अभियान के आयोजक एवं प्रसिद्ध ट्रेकर रजत जमवाल और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।